क्या चीन के लिए कब्रिस्तान बन रहा CPEC कोरिडोर, बलूचिस्तान से डरा पाकिस्तान ड्रैगन के हवाले करेगा अपनी सुरक्षा?

नई दिल्ली: पाकिस्तान के बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में सुरक्षा बलों को निशाना बनाकर किए जाने वाले हमलों में लगातार इजाफा हो रहा है। चीन इन इलाकों में बुनियादी प्रोजेक्ट्स बना रहा है, जो बलूचिस्तान-खैबर पख्तूनख्वा इलाके से गुजरने वाले चीन-पाकि

4 1 4
Read Time5 Minute, 17 Second

नई दिल्ली: पाकिस्तान के बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में सुरक्षा बलों को निशाना बनाकर किए जाने वाले हमलों में लगातार इजाफा हो रहा है। चीन इन इलाकों में बुनियादी प्रोजेक्ट्स बना रहा है, जो बलूचिस्तान-खैबर पख्तूनख्वा इलाके से गुजरने वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का हिस्सा हैं। यही वजह है कि चीन के मजदूर बलूच अलगाववादियों के निशाने पर हैं। वहीं, चीन अपने नागरिकों पर बार-बार हो रहे हमलों से नाराज है। आइए-समझते हैं कि क्या चीन के लिए इस इलाके में अपना प्रोजेक्ट्स शुरू करना बहुत बड़ी गलती थी। या फिर उसके लोगों के लिए यह कब्रिस्तान बनता जा रहा है।

क्या चीन पाकिस्तान में तैनात करेगा अपने सुरक्षाकर्मी

चीन ने हाल ही में इस्लामाबाद से पाकिस्तानी धरती पर चीनी सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की अनुमति देने को कहा है। सवाल यह है कि क्या शहबाज शरीफ सरकार पाकिस्तानी और चीनी सैनिकों को शामिल करते हुए संयुक्त आतंकवाद विरोधी एक्शन की अनुमति देगी? अगर, पाकिस्तान ऐसा करता है तो यह उसकी संप्रभुता को ड्रैगन के हवाले करने जैसा होगा। हालांकि, इस प्रस्ताव को लेकर पाकिस्तान के भीतर चीन का विरोध होना शुरू हो गया है। बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में यह विरोध पहले से ही चला आ रहा है।

चीन के मजदूरों के मारे जाने पर गलियारे पर उठे सवाल

दरअसल, यह बात तब उठी है, जब महत्वाकांक्षी 60 बिलियन डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से जुड़े प्रोजेक्ट्स में काम कर रहे चीनी मजदूर मारे जा रहे हैं। यह गलियारा पाकिस्तान के बीहड़ दक्षिण-पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान में ग्वादर के बंदरगाह से पश्चिमी चीनी क्षेत्र शिनजियांग के काशगर तक लगभग 3000 किमी तक फैला है। इसे 2013 में लॉन्च किया गया था।
China and CPEC

शहबाज का नया शिगूफा क्या कारगर होगा?

चीन की नाराजगी को देखते हुए पाकिस्तान ने एक नया पैंतरा चला है। उसने चीन को दिखाने के लिए आतंकरोधी प्लान बनाया है। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के नेशनल वर्क प्लान की टॉप कमेटी ने 19 नवंबर को आतंकवाद और अलगाववादी आंदोलनों को कुचलने के लिए बलूचिस्तान में एक पूर्ण सैन्य अभियान को मंजूरी दे दी। समिति ने राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक प्राधिकरण (नेक्टा) को फिर से जिंदा करने की भी कसम खाई।

बलूचिस्तान में एक्टिव संगठनों का सफाया करने का प्लान

बैठक में पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष (सीओएएस) जनरल असीम मुनीर, सभी प्रांतों के मुख्यमंत्री, संघीय मंत्री और अन्य अधिकारी शामिल हुए। सभी ने बलूचिस्तान में एक्टिव मजीद ब्रिगेड, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी यानी बीएलए, बीएलएफ (बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट) और बीआरएएस (बलूच राजी आजोई संगर) सहित बलूचिस्तान में सक्रिय उग्रवादी संगठनों के खिलाफ एक व्यापक सैन्य अभियान को भी मंजूरी दी। इन पर पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति खराब करने के लिए निर्दोष नागरिकों और विदेशी नागरिकों को निशाना बनाए जाने के आरोप हैं।
China and CPEC


चीन क्यों पाकिस्तान से इतना नाराज है

बीते महीने कराची एयरपोर्ट के पास अलगाववादी बलूच लिबरेशन आर्मी के आत्मघाती हमले में दो चीनी नागरिकों की मौत हो गई थी। मार्च में, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) या इस्लामिक स्टेट-खुरासान (आईएस-के) के सहयोगियों ने कथित तौर पर खैबर पख्तूनख्वा के बेशम में चीनी नागरिकों को निशाना बनाया, जिसमें पांच लोग मारे गए। एक दशक पहले CPEC परियोजनाएं शुरू होने के बाद से कम से कम 21 चीनी श्रमिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।

क्या आयरन ब्रदर भी चीनी नागरिकों की सुरक्षा में फेल

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से जुडी परियोजनाओं में लगे चीन के कामगारों की रक्षा करने में पाकिस्तान सरकार नाकाम रही है। चीन पाकिस्तान को आयरन ब्रदर मानता है। मगर, पाकिस्तान की लापरवाही को देखते हुए चीन अपना संयम खोता जा रहा है। एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजिंग ने इस्लामाबाद को एक पत्र लिखकर पाकिस्तानी धरती पर चीनी सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की अनुमति देने के लिए कहा है। दरअसल, अगर पाकिस्तान ऐसा करता है तो यह एक तरह से अपनी सुरक्षा को चीन को ठेके पर देने जैसा होगा।
China and CPEC


वॉरियर-8 से क्या पाक वाकई में कर पाएगा आतंक का सफाया

हाल ही में पाकिस्तान में संयुक्त आतंकवादरोधी अभ्यास की योजना की शुरुआत की गई। पाकिस्तानी सेना के एक बयान में कहा गया है कि पाकिस्तानी सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के बीच वॉरियर-VIII नाम का चलने वाला यह अभ्यास उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तानी आतंकवाद विरोधी फैसिलिटी में शुरू किया गया था। दरअसल, भारत में आतंक को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान के लिए ये आतंकी भस्मासुर साबित हो रहे हैं। ऐसे में कोई भी प्लानिंग कामयाब होती नहीं दिख रही है। इससे पहले भी कई ऑपरेशन चलाए गए, मगर सब नाकाम रहे थे।

यूरोप, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका तक चीन का दबदबा!

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) चीन के नेतृत्व वाली विशाल बुनियादी ढांचा निवेश परियोजना जिसका उद्देश्य यूरेशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में कनेक्टिविटी, कारोबार और कम्युनिकेशन में सुधार करना है। इसके तहत पूरे इलाके में एयरपोर्ट्स, बंदरगाह, बिजली संयंत्र, पुल, रेलवे, सड़क और दूरसंचार नेटवर्क बनाया जाना शामिल हैं। अमेरिका समेत विकसित देश इसे चीन के दबदबे के रूप में देखते हैं। यूरोपीय संघ के कई सदस्यों सहित 140 से अधिक देशों ने बीआरआई पर हस्ताक्षर किए हैं। चीन ने विकासशील देशों को 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का ऋण दिया है और वह विकासशील देशों के सबसे बड़े ऋणदाताओं में से एक बन गया है।

CPEC भी बीआरआई प्रोजेक्ट का ही हिस्सा

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) एक बड़ी वाणिज्यिक परियोजना है, जो बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का ही हिस्सा है। यह पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को चीन के उत्तर-पश्चिमी शिंजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र के काशगर से जोड़ने वाला एक बुनियादी ढांचा नेटवर्क है। इस परियोजना का मकसद, पाकिस्तान और चीन के बीच व्यापार को आसान बनाना है। मगर, बलूचिस्तान में बलूच आबादी यह मानती है कि पाकिस्तान सरकार उसके संसाधनों पर कब्जा करती जा रही है और उसे बदले में गरीबी में जीना पड़ रहा है।

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

IIT Delhi Vacancy: आईआईटी दिल्ली ने लैंग्वेज इंस्ट्रक्टर पद पर मांगे आवेदन, ₹75000 सैलरी

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now